क्या श्रम है श्रम का न महत्त्व अरे श्रम दीन किया करते हैं
पीर न शान्त न भूख गई चिथड़े वह नित्य सिया करते हैं
शोषक तो सब भोग करें लख जीवन ऐश जिया करते हैं
क्यों श्रम की महिमा गहते मधु भी श्रमहीन पिया करते हैं
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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