सजाया गया भाल दे के लहू भारती अम्ब है नित्य गाया गया
सदा वन्दना है ध्वजा की स्वरों में हमें स्वाभिमानी बनाया गया
यही राष्ट्र है आर्य भू वेद का घोष भी तो यहीं पे सुनाया गया
हमें तो पता भी नहीं द्रोह का वृत्त कैसे यहाँ खींच लाया गया
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
सदा वन्दना है ध्वजा की स्वरों में हमें स्वाभिमानी बनाया गया
यही राष्ट्र है आर्य भू वेद का घोष भी तो यहीं पे सुनाया गया
हमें तो पता भी नहीं द्रोह का वृत्त कैसे यहाँ खींच लाया गया
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
No comments:
Post a Comment