Thursday 2 May 2013

प्राण त्याग के चला गया



स्वाभिमानहीन कार्यपालिका लखो कि देश को चला रही कुतथ्य वक्ष को जला गया
और आसुरी प्रहार हो रहे अनेक बार किन्तु राजनीति देख टूट हौसला गया
राक्षसी प्रवृत्तियुक्त शूकरों को मृत्युदण्ड दे दिया इसीलिये जवान वो छला गया
व्यर्थ दंश झेलता रहा अनेक वर्ष नेक सर्वजीत हाय प्राण त्याग के चला गया

सर्वजीत क्या गया चली गई कि आस साथ लोकतन्त्र देश का रहा नहीं हमारा है
ये प्रधान भी नपुन्सकी प्रवृत्ति युक्त बन्धु लूट लूट के हमें बना रहा बेचारा है
भारती सुवक्ष पे कुपुत्र का प्रहार देख सत्य धर्म का न शेष एक भी सहारा है
लो उठा महान शस्त्र हाथ में तुरन्त मित्र आर्यखण्ड, आर्यदेश पूर्ण ये तुम्हारा है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

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