Wednesday 10 April 2013

अपराजित नित्य रहूँगा


मै असुरत्व उपेक्षित मान..... सदा बन धर्म प्रवाह बहूँगा
अन्धड़ लक्ष चलें बड़वानल का नित निश्चित ताप सहूँगा
घातक वार अनेक करें अरि... सत्य सनातन धर्म गहूँगा
था अपराजित हूँ अपराजित ..मै अपराजित नित्य रहूँगा
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

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