डॉ. आशुतोष वाजपेयी का काव्य संग्रह
Sunday 7 April 2013
धुन ले
देश अनेक प्रकार लुटे फिर भी चुप क्यों जनता सुन ले
सत्य यही सब स्वार्थपथी जितनी अब चाह यहीं चुन ले
पश्चिम लूट रहा तव बुद्धि समेत तुझे उर में गुन ले
त्याग न देश अरे रुक जा निज राष्ट्रव्रती बन ये धुन ले
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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