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शक्ति भक्ति मुक्ति पथ की प्रदायिनी हो अम्ब
करुणा की मूर्ति नित्य ममता लुटाती हो
संकट में पड़े हुए भक्त की पुकार सुन
उसी क्षण वीणापाणि दौड़ी चली आती हो
धर्म के विनाश हेतु असुर बढे जो कोई
बन रणचण्डिका अनल बरसाती हो
हंस वाहिनी का रूप त्याग कर अम्ब तुम्ही
धारती हो शस्त्र सिंह वाहन बनाती हो
कृतिकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
कवी,ज्योतिषाचार्य, साहित्याचार्य, धर्मरत्न, पी-एच.डी.
लखनऊ
jay ho maa
ReplyDeleteसंकट में पड़े हुए भक्त की पुकार सुन
उसी क्षण वीणापाणि दौड़ी चली आती हो
धर्म के विनाश हेतु असुर बढे जो कोई
बन रणचण्डिका अनल बरसाती हो
abhaar dubey ji
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-04-2013) के चर्चा मंच 1214 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeletearun ji abhaar vilamb se dekhne hetu kshmaa praarthee hoon
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteपधारें "आँसुओं के मोती"
abhaar pratibha ji
Deletebahut sunder badhai
ReplyDelete''माँ वैष्णो देवी ''
abhaar sarita ji
Deletebehtareen prastuti...
ReplyDeleteआदरनीय सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeletehttp://malikparveen.blogspot.in/ पधारें समय मिले तो ...
धन्यवाद..
abhaar Malik Parween ji
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