यह पूनम की रजनी प्रिय है स्वर गूँज रहे तव पायल के
रजनीश लखें अति व्याकुल हो मधु शीतल आज पियें जल के
हरते वह शील रहे बचना ऋषि पीड़ित थे इस भूतल के
यह पावस की ऋतु है इसमें रति काम सुधा बन के छलके
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
रजनीश लखें अति व्याकुल हो मधु शीतल आज पियें जल के
हरते वह शील रहे बचना ऋषि पीड़ित थे इस भूतल के
यह पावस की ऋतु है इसमें रति काम सुधा बन के छलके
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
No comments:
Post a Comment