डॉ. आशुतोष वाजपेयी का काव्य संग्रह

Monday, 21 July 2014

मयंक उठो


Posted by Unknown at 23:38 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

Friday, 18 July 2014

माँ के श्रीचरणो में एक प्रार्थना----


Posted by Unknown at 05:12 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

Wednesday, 16 July 2014

माँ लगाए


Posted by Unknown at 20:43 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

Thursday, 10 July 2014

धैर्य तोड़ने लगा


Posted by Unknown at 21:22 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Newer Posts Older Posts Home
Subscribe to: Comments (Atom)

काव्य संग्रह

  • ►  2016 (1)
    • ►  March (1)
  • ►  2015 (2)
    • ►  December (1)
    • ►  April (1)
  • ▼  2014 (28)
    • ▼  July (4)
      • मयंक उठो
      • माँ के श्रीचरणो में एक प्रार्थना----
      • माँ लगाए
      • धैर्य तोड़ने लगा
    • ►  June (1)
    • ►  May (1)
    • ►  April (5)
    • ►  March (9)
    • ►  February (6)
    • ►  January (2)
  • ►  2013 (99)
    • ►  December (1)
    • ►  November (1)
    • ►  October (1)
    • ►  September (3)
    • ►  August (1)
    • ►  July (9)
    • ►  June (18)
    • ►  May (31)
    • ►  April (34)

सर्वाधिक पढा गया काव्य

  • 'आशुनिकुञ्ज' सवैया छन्द
    हिन्दी साहित्य को चमत्कृत कर देने वाला छन्द 'आशुनिकुञ्ज' सवैया छन्द जिसे आज तक हिन्दी साहित्य के किसी साहित्यकार ने नहीं लिखा बड़े ह...
  • विप्राह्वान
    विश्वविखात साहित्यिक पत्रिका चेतना स्रोत में छपी मेरी एक रचना (पञ्चचामर छन्द में) १ न राष्ट्र की सुवन्दना न हो पवित्र आरती मनुष्यता न...
  • कथा अपनी है
    मै पुरुषार्थ करूँ तुम वैभव भोग करो उर ठान ठनी है शक्ति तुम्ही मम के हित हो तुमसे मिल के मन नित्य धनी है कण्टक हों न कभी पथ में जिस ओर चल...
  • माँ की महानता का एक चित्र देखिये
    पुलक उठा था तन मन अंग अंग मेरा जब प्रिय पुत्र गर्भ मध्य तू समाया था पद जननी का किया तूने ही प्रदान मुझे थी अपूर्ण पूर्ण मुझे तूने ही बनाय...
  • माँ शारदा के श्री चरणों में समर्पित एक घनाक्षरी छंद------
    - शक्ति भक्ति मुक्ति पथ की प्रदायिनी हो अम्ब करुणा की मूर्ति नित्य ममता लुटाती हो संकट में पड़े हुए भक्त की पुकार सुन उसी क्षण वीणापा...
  • मृत्यु
    अवसाद समाप्त करे वह निष्क्रिय ही कर दे भवबन्धन को शयनो हित विष्टर प्राप्त न हों उनको तक दे वह चन्दन को जग में नित व्याप्त हरे सब व्याधि सु...
  • घोर घमण्ड जिन्हें
    जो धन या पदहीन रहा उसको...... जन त्रस्त किया करते हैं हा! अपमान कुव्यंजन का नित सज्जन स्वाद लिया करते हैं ज्ञान न पूजित है गुणवान..........
  • बजरंगबली
    ज्ञान सदैव रहा मन खोज बता मुझको वह कौन गली दुर्गम जीवन है, लड़ता कितना युग से, कलिकाल छली मै भव सागर पार करूँ किस भांति मिले वह नाव भली ...
  • स्वाभिमान जा रहा
    एक क्लीव को बना दिया है देश का प्रधान देख निर्विरोध बढ़ा शत्रु चला आ रहा या कि पहुँचा दिया गया है ढेर अर्थ उसे चीन का बना दलाल शत्रु को ...
  • अपराजित नित्य रहूँगा
    मै असुरत्व उपेक्षित मान..... सदा बन धर्म प्रवाह बहूँगा अन्धड़ लक्ष चलें बड़वानल का नित निश्चित ताप सहूँगा घातक वार अनेक करें अरि... सत्य...

आत्म परिचय

Unknown
View my complete profile

पाठक संख्या

Watermark theme. Powered by Blogger.